Type Here to Get Search Results !

न्यायालय के आदेश से पांच वर्ष बाद पिता को मिला इकलौता पुत्र

0

 न्यायालय के आदेश से पांच वर्ष बाद पिता को मिला इकलौता पुत्र 


अमरवाड़ा — न्याय की मिसाल पेश करता संवेदनशील निर्णय

अमरवाड़ा में माननीय जिला न्यायाधीश महोदय द्वारा पारित आदेश के पालन में पांच वर्षों बाद एक पिता को उसका इकलौता सात वर्षीय पुत्र सौंपा गया। धारा 7 हिंदू अप्राप्तवयता एवं संरक्षकता अधिनियम के तहत ग्राम हिर्री जागीर निवासी लीकेश सूर्यवंशी द्वारा दायर याचिका पर न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।प्रकरण क्रमांक MJC WG 1/2020 में दिए गए आदेश का पालन करते हुए अनुविभागीय दंडाधिकारी अमरवाड़ा ने नाबालिग रुद्र उर्फ जाग्रत को उसके पिता के सुपुर्द किया। न्यायालय ने निर्देशित किया कि पिता बच्चे को उचित पालन-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा तथा मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराएंगे।

माँ छोड़ गई थी घर, नाना–नानी के पास रह रहा था बच्चा

रुद्र जब मात्र दो वर्ष का था, तभी उसकी माँ पति का घर छोड़कर चली गई थी और बाद में दूसरी शादी कर ली। नाबालिग रुद्र को ग्राम जमुनिया में नाना–नानी के पास छोड़ दिया गया, जहाँ उसकी देखभाल और परवरिश न्यायालय के मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई।

पांच वर्षों बाद मिला पिता का स्नेह, छलक उठीं आँखें

वर्ष 2020 से लंबित इस याचिका में न्यायालय ने पिता लीकेश सूर्यवंशी के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा कि धारा 6 हिंदू अप्राप्तवयता एवं संरक्षकता अधिनियम के अनुसार पुत्र का प्रथम प्राकृतिक संरक्षक पिता होता है। पिता ही उसके शरीर, शिक्षा व भविष्य का सर्वोत्तम संरक्षक हो सकता है।पुत्र की अभिरक्षा मिलने पर भावुक हुए लीकेश सूर्यवंशी की आँखों से खुशी के आँसू छलक पड़े। उन्होंने इस न्यायपूर्ण निर्णय के लिए न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त किया।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम ने की मजबूत पैरवी

लीकेश सूर्यवंशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताश्री राजेंद्र नेमा,श्री मानस नेमा,श्री डीसी चंद्रवंशी,श्री सुभाष वर्मा द्वारा प्रभावी पैरवी की गई।यह फैसला न केवल एक पिता के टूटे परिवार को फिर से जोड़ता है बल्कि न्यायपालिका की संवेदनशीलता और बाल अधिकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता का उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

More Interesting Posts

Post a Comment

0 Comments

Footer

चैनल सब्सक्राइब करे

📺 हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें


🔔 SUBSCRIBE NOW