🌾 किसानों का दर्द कंधे पर लेकर पहुँचे जीतू पटवारी, सोयाबीन का बोरा उठाकर कृषि मंत्री के बंगले तक पहुंचे
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बोले – “यह बोरा किसानों की उम्मीदों और सरकार की बेरुख़ी का प्रतीक है”
भोपाल // उग्र प्रभा संवाददाता
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शुक्रवार को एक अनोखा नज़ारा देखने को मिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने अपने कंधे पर सोयाबीन का बोरा लादकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकारी बंगले “कंधा” तक मार्च किया।यह दृश्य केवल एक विरोध नहीं, बल्कि किसानों के दर्द और संघर्ष की प्रतीक तस्वीर बनी
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अनाज की बोरी कंधे पर लादकर अचानक केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकारी बंगले पर जा पहुंचे. प्रदेश अध्यक्ष के पहुंचने की खबर लगते ही केन्द्रीय मंत्री शिवराज ने उन्हें अंदर बुलाया. शिवराज ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर जहां बैठकर चर्चा करना चाहते हैं, मैं तैयार हूं. मैं तो सड़क पर बैठने के लिए भी तैयार हूं. हालांकि इसके पहले पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें रोकने पर उन्होंने बाहर ही गेहूं की बोरी नीचे पटक कर उसे फैला दिया.
पैदल मार्च करते हुए पहुंचे जीतू
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी कांग्रेस प्रदेश कार्यालय से कंधे पर बोरी रखकर पैदल मार्च करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री के बंगले पर पहुंचे. हालांकि बाद में शिवराज ने जीतू पटवारी सहित 5 किसानों को अंदर बुलाकर चर्चा की. हालांकि इसके पहले जीतू पटवारी को बंगले के बाहर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस दौरान जीतू पटवारी की पुलिसकर्मियों ने हल्की झड़प भी हुई. इस दौरान एक अनाज की बोरी को उन्होंने नीचे गिरा दिया दिया और बंगले के बाहर सड़क पर ही बैठ गए."
🚜 किसानों के हक़ की आवाज़
पटवारी ने कहा कि प्रदेश में किसान आज सबसे अधिक परेशान हैं। मंडियों में सोयाबीन का उचित दाम नहीं मिल रहा, और भावांतर योजना कागज़ों पर ही सीमित है।
उन्होंने कहा —
> “यह बोरा सिर्फ अनाज नहीं, किसानों की टूटी उम्मीदों और सरकार की बेरुखी का प्रतीक है। किसान बोझ ढो रहा है, लेकिन सरकार उसकी सुन नहीं रही।कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रदेश में बीज घोटाले से लेकर खरीद में अनियमितताएं जारी हैं, पर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
🧑🌾 “किसान बोझ उठा रहा है, नेता कुर्सी”
रोशनपुरा चौराहे से शुरू हुआ यह किसान मार्च पुलिस रोकने की कोशिशों के बावजूद मंत्री आवास तक पहुंचा।
पटवारी ने कहा —
> “सरकार ने किसानों को धोखा दिया है।
किसानों को न दाम मिल रहा, न सम्मान।
किसान बोझ उठा रहा है, और नेता कुर्सी।”
🔥 पुलिस ने किया गिरफ्तार, फिर छोड़ा
कृषि मंत्री के बंगले के बाहर जब पटवारी अपने समर्थकों के साथ बैठे तो पुलिस ने उन्हें बिना अनुमति प्रदर्शन के आरोप में हिरासत में ले लिया।हालांकि थोड़ी देर बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र का गला घोंटना बताया और कहा कि किसानों की आवाज़ उठाने वालों को डराने की कोशिश की जा रही है
🗣️ कांग्रेस का बड़ा बयान
प्रदेश कांग्रेस ने कहा —
> “यह आंदोलन किसानों के हक़ की लड़ाई है।
सरकार के खिलाफ यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक किसानों को फसलों का पूरा मूल्य और सम्मान नहीं मिलेगा।
---📊 विशेषज्ञों की राय - राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जीतू पटवारी का यह प्रतीकात्मक प्रदर्शन कांग्रेस को किसानों के बीच “हितेषी छवि” प्रदान करेगा।यह कदम ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की पकड़ को मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक पहल माना जा रहा है।
कृषि विशेषज्ञों ने भी कहा कि
> “एमएसपी और बीज गुणवत्ता को लेकर किसानों की चिंता सही है।पटवारी का यह विरोध किसानों की वास्तविक स्थिति को उजागर करने वाला कदम है।”
---📸 घटनास्थल से तस्वीरें - पटवारी ने कंधे पर बोरा लादकर नारे लगाए — “किसान बोले, हक़ दो या हटो!”
समर्थकों ने “किसान एकता ज़िंदाबाद” के नारे लगाए।
पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच हल्की झड़प के बाद भी प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।-
-🔚 निष्कर्ष-जीतू पटवारी ने एक बार फिर साबित किया कि वे किसानों की आवाज़ उठाने वाले नेता हैं।उनका यह प्रदर्शन न केवल राजनीति में चर्चा का विषय बना, बल्कि किसानों के हक़ की लड़ाई को नई ऊर्जा दे गया।
> “उग्र प्रभा किसानों की आवाज़ है —जहाँ से उठती है जनता की बात, वहीं से बदलता है हालात।”
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