मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"गीता दर्शन लोकहित में अनुभूतिपरक आध्यात्मिक ज्ञान है": प्रो. सीताराम शर्मा
"गीता दर्शन लोककल्याण रहस्यमई प्रश्नों का समाधान है": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
विश्वगीता प्रतिष्ठान उज्जयिनी की छिंदवाड़ा शाखा द्वारा आइपीएस कालेज में आयोजित व्याख्यान में प्रमुख अतिथि वक्ता कन्या महाविद्यालय छिंदवाड़ा के हिन्दी के विभागाध्यक्ष प्रो. सीताराम शर्मा ने गीतादर्शन के सार्वभौमिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गीता योगराज कृष्ण के श्रीमुख से वाचित अनुभूतिपरक आध्यात्मिक संन्यासी का प्रबोधन है। गीता की वैचारकी शुचिता जनित कर्मयोग से सामर्थ्य प्राप्ति की अभिव्यक्ति है। चांद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि गीता दर्शन जीवन की तमाम जटिल उलझनों, समस्याओं व अंतर्द्वंदों का स्थाई समाधान है। गीता दर्शन लोकहित में सार्वभौमिक, सार्वकालिक व सार्वजनिक संवाद है। गीता दर्शन इंसानियत निर्माण हेतु उत्कृष्ट वैचारिकी की चरम खुराक है। ज्ञान, कर्म व भक्ति से आत्मसिद्धि प्राप्ति की सीढ़ी है। प्राचार्य प्रो. जैमिनी खानवे ने कहा कि जीवन प्रबंधन पर गीता से बेहतर उत्कृष्ट ज्ञान की किताब कोई दूसरी है ही नहीं। जीवन की पूर्ण स्वीकृति से परमानंद का मार्ग प्रशस्त होता है।
जीवन की पूर्ण स्वीकृति से परमानंद का पथ प्रशस्त होता है ": प्रो. जैमिनी खानवे
केंद्रीय मार्गदर्शक नेमीचंद व्योम ने कहा कि कृष्ण का सभी बृजवासियों के साथ गोवर्धन पर्वत उठाना अभिमान त्याग एवं सामूहिक शक्ति का प्रतीकात्मक प्रकटीकरण है। कथावाचक रमाकांत पांडे ने कहा कि वैश्विक प्रगति हेतु करुणा, उदारता व दयालुता का व्यवहार सबसे कारगर तरकीब है। गीता दर्शन किंकर्त्तव्यविमूढ़ के लिए अंधेरे में पथ प्रशस्त करने वाली मार्गदर्शी, व्यावहारिक व लोकोपयोगी कुंजी है। कश्मीरीलाल बत्रा ने कहा कि गीता आत्मबल, आत्मज्ञान और अहम के समर्पण के सतत अभ्यास से चंचल मन पर नियंत्रण कर लेने का दर्शन है। अजय सिंह वर्मा ने कहा कि गीता जीवन में अंतर्निहित संभावनाओं के विकास पर जीवन को अनुशासित करने की युक्ति प्रदान करती है। नरेंद्र पाल ने कहा कि गीता दर्शन शंका, संदेह व भय के राक्षसों का वध करता है। इस अवसर पर नंदकिशोर दीक्षित ने गीता को मनुष्य के रहस्यमई प्रश्नों के समाधान, कु. स्वीटी अल्डक ने गीता ज्ञान को मनुष्य के लिए अद्भुत कल्याणकारी व संजय वर्मा ने गीता को भगवतसत्ता प्राप्ति का दर्शन बताया।