मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"आचार्य श्रीराम शर्मा सांस्कृतिक चेतना के युग पुरुष थे": प्रो . इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी कुलगुरू
"आचार्य श्रीराम शर्मा दिव्य ऋषि परंपरा के प्रतिनिधि थे ": प्रो. वाय. के. शर्मा
"आचार्य श्रीराम शर्मा वैज्ञानिक आध्यात्मवाद के पोषक थे": प्रो. अमर सिंह

संगीत के प्रो. श्रीपाद आरोंनकर ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा की नैतिक, बौद्धिक व सांस्कृतिक आभा ने आत्मिक शुद्दीकरण से वैश्विक विचार क्रांति के अग्रदूत बनने का श्रेय हासिल किया। सुभाष वर्मा ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा ने वैदिक ज्ञान की गरिमा, आचार्यों का सम्मान व मनुष्य की भावनात्मक एवं भौतिक स्वास्थ्य के लिए अपना साहित्य सरल भाषा में लिखकर गुरुदेव की पदवी हासिल की। जिला संयोजक श्रीमती शिखा वर्मा ने कहा कि गुरूजी ने मानव की प्रखरतम चेतना, मूल्य आधारित गुणवत्ता व युवा शक्ति के उच्चतम दोहन का मार्ग प्रशस्त किया। सचिव गोविंद माहोरे ने कहा कि आचार्यजी नहीं चाहते थे कि मानव जीवनभर तृण सा बहता फिरे। सौरभ सोनी ने कहा कि गुरूजी जीवंत, तरंगित एवं सुपर मानवीय गुणों के धनी होकर भी सदैव संत प्रकृति की सरलता के अवतार बने रहे। महाप्रबंधक एमपीआरडीसी आर. के. सोनी ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा जैसे ऐसे युगीन समाज सुधारक को उनकी अभूतपूर्व प्रज्ञा के लिए हृदय से नमन किया जाना चाहिए। अपने सारगर्भित अंदाज में मंच संचालन करते हुए शिक्षक दिलीप माकड़े ने भारतीय संस्कृति की जान परंपरा के विभिन्न उद्धरणों से सबका मन मोह लिया। समारोह में जिले भर से पधारे भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के विजेता प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र व नकद राशि देकर सम्मानित किया गया।