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भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा पुरस्कार वितरण व शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित

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        मोहिता जगदेव 

   उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

"आचार्य श्रीराम शर्मा सांस्कृतिक चेतना के युग पुरुष थे": प्रो . इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी कुलगुरू 

"आचार्य श्रीराम शर्मा दिव्य ऋषि परंपरा के प्रतिनिधि थे ": प्रो. वाय. के. शर्मा 

"आचार्य श्रीराम शर्मा वैज्ञानिक आध्यात्मवाद के पोषक थे": प्रो. अमर सिंह 

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: अखिल विश्व गायत्री परिवार हरिद्वार की छिंदवाड़ा शाखा द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के पुरस्कार एवं शिक्षक सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा के कुलगुरू प्रो. इन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि युगद्रष्टा वेदमूर्ति आचार्य श्रीराम शर्मा सांस्कृतिक चेतना के शिखर युग पुरुष थे, जिन्होंने भारत राष्ट्र की देवसंस्कृति दर्शन से मानवीय उत्थान के लिए आध्यात्मिक, रचनात्मक एवं दार्शनिक मूल्यों के समन्वय की त्रिवेणी की आधारशिला रखी।समारोह के अध्यक्ष पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के प्राचार्य प्रो. वाय. के. शर्मा ने अपने प्रेरक उद्बोधन में आचार्य श्रीराम शर्मा को दिव्य ऋषि परंपरा की वह इकलौती महान विभूति बताया जिससे साधारण मानव से महामानव बनाने की विरासत पोषित होती है। विशिष्ट अतिथि प्रो. अमर सिंह ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा ने सांस्कृतिक चेतना, वैज्ञानिक आध्यात्मवाद व मेधावी ज्ञान के नवद्वार लोकहित में खोलकर स्वयं युगऋषि का दर्जा प्राप्त किया। एसडीओ पेंच अतुल पारधी ने विजेता छात्रों को भारतीय संस्कृति के मूल्यों से अभिप्रेरित कर संतुलित जीवन प्रबंधन पर बल दिया। जनजातीय विभाग से अधिकारी उमेश सातनकार ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा ने धर्म से पाखंड को निकालकर आधुनिक व प्राचीन विज्ञान के समन्वय से युग निर्माण करने का सपना साकार किया।

संगीत के प्रो. श्रीपाद आरोंनकर ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा की नैतिक, बौद्धिक व सांस्कृतिक आभा ने आत्मिक शुद्दीकरण से वैश्विक विचार क्रांति के अग्रदूत बनने का श्रेय हासिल किया। सुभाष वर्मा ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा ने वैदिक ज्ञान की गरिमा, आचार्यों का सम्मान व मनुष्य की भावनात्मक एवं भौतिक स्वास्थ्य के लिए अपना साहित्य सरल भाषा में लिखकर गुरुदेव की पदवी हासिल की। जिला संयोजक श्रीमती शिखा वर्मा ने कहा कि गुरूजी ने मानव की प्रखरतम चेतना, मूल्य आधारित गुणवत्ता व युवा शक्ति के उच्चतम दोहन का मार्ग प्रशस्त किया। सचिव गोविंद माहोरे ने कहा कि आचार्यजी नहीं चाहते थे कि मानव जीवनभर तृण सा बहता फिरे। सौरभ सोनी ने कहा कि गुरूजी जीवंत, तरंगित एवं सुपर मानवीय गुणों के धनी होकर भी सदैव संत प्रकृति की सरलता के अवतार बने रहे। महाप्रबंधक एमपीआरडीसी आर. के. सोनी ने कहा कि आचार्य श्रीराम शर्मा जैसे ऐसे युगीन समाज सुधारक को उनकी अभूतपूर्व प्रज्ञा के लिए हृदय से नमन किया जाना चाहिए। अपने सारगर्भित अंदाज में मंच संचालन करते हुए शिक्षक दिलीप माकड़े ने  भारतीय संस्कृति की जान परंपरा के विभिन्न उद्धरणों से सबका मन मोह लिया। समारोह में जिले भर से पधारे भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के विजेता प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र व नकद राशि देकर सम्मानित किया गया।

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