मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा
" अभाव, गरीबी व मायूसी के अहसास जीवन को गहराई से जीने की दृष्टि देते हैं ": प्रो. अमर सिंह
" संघर्ष, विपदा व चुनौती मनुष्य को पूर्णता प्रदान करती हैं।": प्रो. प्रतिभा श्रीवास्तव
" जिसके पास खोने को कुछ नहीं है, उसे पाने को अनंत आकाश है ": प्रो. विनीता रामा
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा : कहते हैं कि गरीबी भी सपने देखती है, उन्हें साकार करने के लिए आधे पेट भूखा भी रहना पड़े तो स्वीकार होता है, और जब लक्ष्य के सिवा कुछ और दिखाई न दे तो कोई भी अर्जुन रूपी छात्र मछली की आंख में निशाना लगा ही देता है। एक सफल छात्र अपनी पिछली तीन पीढ़ियों के अंधेरे को उजाले में बदल देता है। यही कर दिखाया है अमरवाड़ा के ग्राम नादिया, मानेगांव निवासी, पी. जी कालेज छिंदवाड़ा के भूतपूर्व छात्र और पिता स्व. अनूप मसराम व माता श्रीमती सकला मसराम के सुपुत्र महातराम मसराम ने समाजशास्त्र में नेट परीक्षा उत्तीर्ण करके। आर्थिक अभावों से जूझ रहे मसराम परिवार में जन्मे महतराम ने बहुदिव्यांगता से पीड़ित होने के बावजूद भी आज के युवाओं के लिए मिसाल बनते हुए संघर्षों के पहाड़ खड़े कर दिए हैं। दुखद बात यह है कि अपना पेट काटकर बेटे को उच्च शिक्षा दिलवाने की खातिर महतराम के पिता स्वयं को नहीं बचा सके। महतराम को बेटे की उन्नति की कामना करते हुए अपने पिता का साया अचानक उठ जाना बहुत व्यथित करता है। जिस गांव में अशिक्षा का बोलबाला हो, वहां के किसी एक छात्र द्वारा नेट परीक्षा उत्तीर्ण करना कोई अचंभे से कम नहीं है। महतराम को प्राचार्य डॉ. वाय. के. शर्मा, प्रो. अमर सिंह, प्रो. प्रतिभा श्रीवास्तव, प्रो. विनीता रामा, प्रो. कविता शर्मा व प्रो. मीनाक्षी कोरी ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।