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*मेहरा समाज म प्र के प्रांतीय अध्यक्ष ब्रजेश वट्ट नें पिता के निधन में मृत्यु भोज का किया बहिष्कार
*श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर समाज को दी नई दिशा
छिन्दवाड़ा //भोपाल //उग्र प्रभा
मृत्यु भोज अभिशाप है को चरितार्थ करते हुए मेहरा डेहरिया समाज के प्रांतीय अध्यक्ष ब्रजेश वट्ट नें अपने पिता श्री महेश वट्ट ( उम्र 82 बर्ष ) रोहना कला छिंदवाड़ा निवासी का निधन 13 मई 2025 को हो गया जो भरा पूरा परिवार छोडकर पंचतत्व में विलीन हो गये।स्वर्गीय श्री महेश वट्ट सेवानिवृत्त शिक्षक थे।
और समाज में अत्यंत सम्मानित व्यक्तित्व माने जाते थे। उनके छोटे पुत्र ब्रजेश वट्ट IRS भारतीय राजस्व सेवा कमिश्नर आयकर विभाग मुबई में पदस्थ है। साथ में समाजिक दृष्टिकोण से मेहरा समाज मध्यप्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष है। श्री वट्ट के दो पुत्र नील और अमन वट्ट है जो पेशे से डाँक्टर और बिजनेस एक्सपर्ट है। वट्ट परिवार सर्वे गुण सम्पन्न होने के बाद अपने पिता के निधन उपरांत पारम्परिक मृत्यु भोज जैसी कुरितियो को पूर्णताः बहिष्कार कर गंगा पूजन तेरहवीं कार्यक्रम नही करते हुए इसके स्थान पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन 25 मई को पेतृक गृह निवास रोहना कला छिंदवाड़ा में किया गया। जिसमे मेहरा समाज के समस्त सम्माननीय सजातीय बंधु भोपाल,जबलपुर , मंडला सिवनी नर्मदापुरम इंदौर नागपुर ,छिंदवाड़ा,नरसिंहपुर तमाम जगह से समाज जन प्रमुखता से उपस्थित हुए।
श्रद्धांजलि सभा में किसी भी प्रकार से जलपान चाय नाश्ता भोजन प्रसादी की व्यवस्था नही की गई। जिसका सीधा उदाहरण मृत्यु भोज जैसी सामाजिक कुरीतियों को बंद करने का संदेश एवं अनुसरण किया गया।एक सक्षम परिवार के द्वारा पुरानी सामाजिक कुरीतियों को जड़ से खत्म करने का एतिहासिक निर्णय लिया गया है।
दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति हेतु की गई प्रार्थना।
मेहरा समाज जनो द्वारा दिवंगत आत्मा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई शोकाकुल परिवार को दुःख की असहाय घडी में ढाढस बांधने की प्रार्थना की गई। श्री ब्रजेश वट द्वारा समाज को 21000 रुपये राशि भेंट की गई जिसे समाज कार्यो के लिए उपयोग में किया जायेगा, छिंदवाड़ा समिति ने उनका आभार व्यक्त किया ।शोकाकुल परिवार जनों ने भी इस मृत्युभोज प्रथा को बंद करने में साथ दिया
शोकसभा में प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जागेश्वर सुरजे सहित वरिष्ठजनों नें मृत्यु भोज कुरूति प्रथा बंद करने की भावुक अपील
मेहरा समाज के प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष जागेश्वर सुरजे नें शोकसभा के दौरान उपस्थित समाज जनो सें अपील करते हुए कहा मृत्यु अटल है जाना सभी को एक ही जगह है लेकिन दुख की घडी में भोज की परंपरा न केवल पीड़ित परिवार के लिए बोझ है बल्कि यह समाज में दिखावा को बढ़ावा देती है हमें इसे अब समाप्त करना होगा। जब किसी परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है उस परिवार के सदस्यों का रो रोकर बुरा हाल हो जाता है अथाह पीढा दुख में अतीत रहता जो गया कभी नही आयेगा किसी का चिराग हो सकता किसी के माता-पिता बहन भाई संतान के रुप में क्षति होती है। इस अथाह दुख के बाद उस परिवार को समाजिक कुप्रथा का अनुसरण करना होता है और मृत्यु भोज गंगापुजन तेरहवीं जैसी चलन कुप्रथा का अनुसरण कर देखा सिखी बढ चढकर स्वादिष्ट पकवानों के साथ मिठाई खिलाना पढ रहा है और उपस्थित समाज जन मृत्यु भोज के नाम पर स्वादिष्ट भोजन और मिठाई चख रहा है। में सभी सम्माननीय पदाधिकारियों व सदस्यों एवं समाज जन से आग्रह करता हूं कि आप भी ऐसे अवसर पर शौक संदेश व मौन धारण के साथ समाज जन को तीसरा कार्यक्रम में ही श्रद्धांजलि सभा करने का अनुसरण करे। अलग सें किसी प्रकार की गंगा पुजन तेरहवीं श्रद्धांजलि सभा करने की आवश्यकता ही ना पढ़े।तीसरे के कार्यक्रम में ही सभी रस्मो को पूरा कर शौकाकुल परिवार को दुख विपदा के समय सहयोग कर उनके दुख में सहभागिता बनकर सहयोग देने का अनुसरण किया जाय।