मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"अभिनय व्यक्तित्व को परिमार्जित करने का सबसे सशक्त जरिया है ": अवधेश तिवारी
"अभिनय चित्त की उत्तेजित अवस्था का जीवंत चित्रण होता है": प्रो. अमर सिंह
"रंगमंच सम्प्रेषण कौशल को उत्कृष्टता के आयाम देता है": संजीव चवरे
"सटीक व जीवंत अभिनय का असर आत्मा तक उतरता है": केशव कैथवास
"रंगमंच चरित्र को परिमार्जित करने की अचूक औषधि है": विजयानंद दुबे
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा : छिंदवाड़ा: ओम मंच पर अस्तित्व छिंदवाड़ा एवं आई. पी. एस. कालेज छिंदवाड़ा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित विश्व रंगमंच दिवस समारोह का शुभारंभ पद्मश्री गिरिराज किशोर की कहानी पांचवां पराठा जिसका नाट्य रूपांतरण, गीत एवं निर्देशन विजयानंद दुबे ने किया है, के नाटकीय अंतरण के आगाज से शुरू हुआ। समारोह में बाल अभिनय कलाकार आयुषी जैन का कला जगत के सात रंग मनीषियों ने अभिनंदन करते हुए रंगमंच के अपनी विशेषज्ञता के अनुभव के इंद्रधनुषी रंग बिखेरकर अपनी अभिव्यक्तियां दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने कहा कि अभिनय व्यक्तित्व को परिमार्जित करने का सबसे प्रभावी तरीका होता है क्योंकि इसमें अभिनेता को अपने हृदय के आवेगों की नाटकीय प्रस्तुति मंच पर करनी होती है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अमर सिंह ने कहा कि अवस्था के अनुकरण को अभिनय कहते हैं। अभिनय चित्त की उत्तेजित अवस्था की चित्रात्मक एवं जीवंत अभिव्यक्ति होती है। प्रसिद्ध फिल्मकार केशव कैथवास ने कहा कि अभिनय का असर आत्मा तक जाता है, और यह पात्र में हिचकिचाहट दूर करने की रामबाण औषधि है। प्रसिद्ध समीक्षक संदीप चौरे ने कहा कि अभिनय से मौखिक संप्रेषण कला, समस्या का रचनात्मक समाधान व दूसरों के साथ अनुकूलन बैठाने की दक्षता का विकास होता है।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्तकर्ता व मशहूर रंगकर्मी विजयानंद दुबे ने कहा कि अभिनय से चरित्र में परम संतोष की प्राप्ति, सीखने की त्वरित गति और सकारात्मकता का विकास होता है। प्रसिद्ध कहानीकार दिनेश भट्ट ने कहा कि कहानी का नाट्यरूपंतरण करके मंचीय प्रस्तुति करने से लेखक के मूल भाव समझने में काफी मदद मिलती है। मुंबई से पधारे फिल्मकार सी. पी. शर्मा ने कहा कि रंगमंच पर अभिनेता की संवाद सम्प्रेषण, वाणी नियमन, उपयुक्त भावभंगिमा संचालन और समुचित वेशभूषा दर्शकों को रसानुभूति कराते हैं। युवा फिल्मकार अभिजीत परमार ने कहा कि रंगमंच का रसपूर्ण समन्वित व्यापार सहृदय दर्शकों को अर्थ की पूर्णता से अभिभूत करता है। अभिनय से लोकचेतना, कल्पना और रुचियों में अद्भुत विकास होता है। अभिनय से परम संतोष की प्राप्ति, जल्दी सीखने की कला, निराशा में आशा का संचार व मनोविनोद के उत्कृष्ट आयाम व्यक्त्ति के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक हैं।समारोह का मंच संचालन प्रो . रीतेश मालवीय ने किया। समारोह को सम्पन्न कराने में अमित गजभिए, बिनोद साहू एवं मोहित बरमैया का विशेष सहयोग रहा।