मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार , छिंदवाड़ा
"चुनौतियां बेहतरीन संस्कारों से उत्कृष्टता की ओर ले जाती हैं": प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा
"जीत हार तो परिणाम है, महत्व तो खेल में उठते जोश का है": प्रो. अमर सिंह
" खेल हार को संयम, शालीनता व संतुलन से रहना सिखाते हैं": प्रो. रजनी कवरेती
उग्र प्रभा समाचार चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में राष्ट्रीय खेल दिवस पर आयोजित विभिन्न स्पर्धाओं में खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन करते हुए क्रीड़ा प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि हर खिलाड़ी मैदान फतेह कर अपनी यश की कहानी लिखता है। खेल जौहर दिखाने व मानव क्षमता की अभिव्यक्ति का एक सशक्त जरिया है। खेल वह प्रवर्तक होते हैं जो मानवों में मतभेद मिटाकर नकारात्मकता की नाक तोड़ देते हैं। खेल शक्तिहीन में पौरुष प्रज्जवलित कर चेतना वृध्दि से सामर्थ्य पैदा करते हैं। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि जब खिलाड़ी का यश गूंजता है तो समूचा राष्ट्र गौरव का अनुभव करता है। हर काया सुख की अधिकारी है, अतः सबकी भागीदारी जरूरी है। हार को शालीनता से स्वीकार कर संयम और संतुलन बरतना कोई खिलाड़ी से सीखे। प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि जीतने की खुशी तब और ज्यादा हो जाती है जब जीत की कोई उम्मीद न हो। उत्कृष्टता का पथ निरंतरता के संघर्ष से प्रशस्त होता है। खेल जीवन की अनिश्चितता को परिभाषित करता है, जहां अच्छे से अच्छा खिलाड़ी जीरो पर भी आउट हो जाते हैं।प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि खेल से जुड़ी हुई चुनौतियां खिलाड़ी को बेहतरीन संस्कारों से उत्कृष्टता की ओर ले जाती हैं। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि,खेल सफलता के लिए कम, अपनी क्षमताओं की अंतिम संभावना वृध्दि के लिए अधिक होते हैं। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि खेल वह जंग है जो पूर्ण समर्पण मांगती है। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि कोई भी खेल हो या जीवन आखिर में प्रदर्शन क्षमता ही काम आती है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि खेल को अगर पूरी ईमानदारी से खेला जाए तो खेल से सच्ची ताकत, आत्मविश्वास और अनुभवी सामर्थ्य प्राप्त होती है। सभी क्रीड़ाओं को संपन्न कराने में संतोष अमोडिया, नीलेश नाग, सुनील पाटिल, कमलेश चौधरी, नरेश चौधरी, आनंद रजक व श्वेता चौहान का अविस्मरणीय योगदान रहा।

