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प्रेमचंद का साहित्य ग्रामीण व्यवस्था का महाकाव्य है": प्रो. अमर सिंह

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               मोहिता जगदेव

         उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

 प्रेमचंद जयंती पर "प्रेमचंद भ्रष्टतंत्र के खिलाफ नैतिक वैशिष्ट्य के समाज सुधारक" विषय पर व्याख्यान 

"प्रेमचंद का साहित्य पौरुष से प्रारब्ध निर्माण का दर्शन है": प्रो अमर सिंह 

"प्रेमचंद दर्शन विपत्तियों को सीखने का विद्यालय मानता है": प्रो. आर. के. पहाड़े 

"प्रेमचंद का साहित्य हाशिए पर पड़े वंचितों की आवाज है": प्रो. आर. के. पहाड़े

उग्र प्रभा समाचार चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में प्रेमचंद जयंती पर "प्रेमचंद भ्रष्टतंत्र के खिलाफ नैतिक वैशिष्ट्य के समाज सुधारक" विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. राजकुमार पहाड़े ने कहा कि प्रेमचंद का दर्शन पौरुष से नसीब निर्माण का दर्शन है, जिसमें विपत्तियां सीखने Dका विद्यालय होती हैं। उनका साहित्य दलित, दमित व हाशिये पर पड़े वंचितों के अस्तित्व बचाने का संघर्ष है।प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने प्रेमचंद के साहित्य को भारत की आजादी से पूर्व की सामंती अनैतिक व्यवस्था का ग्रामीण परिवेश का महाकाव्य बताया। प्रेमचंद दर्शन में न्याय व नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है, नचाती है। प्रो. रजनी ने कहा कि प्रेमचंद के अनुसार  कुल की प्रतिष्ठा विनम्रता और सदव्यवहार से होती है, हेकड़ी और रूआब दिखाने से नहीं। जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा व इज्जत ढोंग है। प्रो. जी एल विश्वकर्मा ने कहा कि प्रेमचंद के अनुसार सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचलित रहते हैं

प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने कहा था कि दौलत से मिला सम्मान दौलत का होता है, व्यक्ति का नहीं। यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि प्रेमचंद ने कहा था कि लगन को काटों की परवाह नहीं होती है। उपहार और विरोध तो सुधार के पुरस्कार हैं। प्रो . रक्षा उपश्याम ने कहा कि प्रेमचंद दर्शन में आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गरूर है। डरे हुए प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि चिंता रोग का मूल है। अन्याय को बढ़ावा देने वाला कम अन्यायी नहीं होता है। इंसान सब हैं, पर इंसानियत बिरलों में मिलती है। व्याख्यान माला में कमलेश चौधरी, सुनील पाटिल, नीलेश नाग, नरेश चौधरी, आनंद रजक और श्वेता चौहान का विशेष सहयोग रहा।

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