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हरिशंकर परसाई पर प्रगतिशील लेखक संघ की संगोष्ठी सम्पन्न

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---------कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भोपाल से पधारे कवि- रंगकर्मी सत्यम पांडे ने परसाई के साहित्य को आज भी प्रासंगिक एवं कालजयी बताया-

 कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी एवं टीवी कलाकार पंकज सोनी ने कहा- परसाई ने अपनी तीक्ष्ण व्यंग चेतना से समाज के  सभी वर्गों की विसंगतियों पर प्रहार किया है। 

 उग्र प्रभा समाचार छिंदवाड़ा : प्रगतिशील लेखक संघ एवं हिंदी प्रचारिणी समिति छिंदवाड़ा के संयुक्त तत्वाधान में   समकालीन लेखन और हरिशंकर परसाई की परंपरा  विषय पर एक चर्चा गोष्ठी का आयोजन किया गया । अतिथियों का स्वागत इकाई अध्यक्ष हेमेंद्र कुमार राय ने किया । कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भोपाल से पधारे कवि- रंगकर्मी सत्यम पांडे ने परसाई के साहित्य को आज भी प्रासंगिक एवं कालजयी बताते हुए समकालीन लेखन की चुनौतियां अनेक उदाहरणों से तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी एवं टीवी कलाकार पंकज सोनी ने कहा- परसाई ने अपनी तीक्ष्ण व्यंग चेतना से समाज के किसी सभी वर्गों की विसंगतियों पर प्रहार किया है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे कथाकर दिनेश भट्ट ने हरिशंकर परसाई के जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए कहा कि परसाई ने सामाजिक- राजनीतिक पाखंडों और रूढ़िवादी जीवन मूल्य पर विवेक और विज्ञान सम्मत दृष्टि से सकारात्मक तीखे व्यंग्य लिखे।

भट्ट ने प्रगतिशील लेखक संघ के जबलपुर में होने  वाले राष्ट्रीय सम्मेलन की जानकारी भी दी ।  खुली चर्चा के दौरान मोहन कुमार डहेरिया ने जन आंदोलनों में करुणा की भूमिका और टीवी की दुनिया में हरिशंकर परसाई की परंपरा की रक्षा का सवाल उठाया। ज्योति खरे ने कहा - यदि परसाई न होते तो जबलपुर के अधिकांश सदस्य आचार्य रजनीश की विचारधारा की शरण में चले जाते।सचिन वर्मा ने नाट्य गंगा के सदस्यों का परिचय कराते हुए परसाई के महत्व पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन स्वप्निल जैन ने किया। कार्यक्रम में रणजीत सिंग परिहार, अवधेश तिवारी, डॉ. टीकमणी पटवारी, डॉ. सीमा रघुवंशी, मोहिता जगदेव, चंदन अयोधि, नंदकिशोर नदीम, अशोक जैन , सुरेंद्र वर्मा, मनोज गुप्ता, संजय पाठक, सी एल चौरसिया,  के के मिश्रा, रत्नाकर रतन , महेश सोनी, दानिश अली,  फैजल खान , श्रीमती पदमा जैन एवं नाट्य गंगा के अनेक साथी उपस्थित थे।

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