*भारतीय ज्ञान की परंपरा अत्यंत समृद्ध*
भाषा से अधिक महत्वपूर्ण है भाव- श्री अवधेश तिवारी*
उग्र प्रभा समाचार छिंदवाड़ा - राजमाता सिंधिया शासकीय स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय, छिंदवाड़ा में दिनांक 03/05/2023 को महादेवी व्याख्यानमाला के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में साहित्यकार श्री अवधेश तिवारी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान की परंपरा अत्यंत समृद्ध और व्यापक रही है। इस सांझी विरासत में भाषा के स्थान पर भाव को अधिक महत्व दिया गया है। कबीर पढ़े-लिखे नहीं थे परंतु उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से समाज का दिग्दर्शन और प्रबोधन किया। जिस तरह एक दीपक जलता है उसे बताना नहीं पड़ता है कि उजाला देना है, वह स्वयं ही प्रकाशमान हो जाता है। इसी प्रकार हमारे पुरखों के ज्ञान के आलोक की नव आभा में स्वर्णिम भारत स्वयं ही प्रकट हुआ है। स्थानीय बोली के उदाहरणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि लोक परंपरा में रस है, ज्ञान है, अनुभव है। उन्होंने अपनी संस्मरणात्मक कविता का सस्वर पाठ भी किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रीपाद आरोनकर एवं आभार प्रदर्शन संयोजक डॉ. विजय कलमधार ने किया। संगोष्ठी में डॉ. उमा पंड्या, डॉ. उषा भारती ,श्री ढालसिंह गौतम, डॉ. छविनम श्रीवास्तव , शोभाराम जम्होरे, प्रियंका पाठक ,रेणुका पोफली , नीता वर्मा , एकता चौरसिया , निदा खान , पायल राय , स्मिता लोखंडे , अदिति लांबा , श्री हरिश्वर भारती , प्रेरणा वर्मा, डॉ. दीपचंद भावरकर सहित छात्राएं उपस्थित हुई ।
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