मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
भारतीय ज्ञान परंपरा: विविध संदर्भ विषय पर व्याख्यान
"स्वार्थपूर्ण अनुकूलित अभिव्यक्ति मनुष्यता निर्माण की तौहीन है": प्रो. अमर सिंह
असल में सुभाषित विचार ही रत्न हैं, बाकी तो सब पत्थर भर हैं: प्रो सुरेखा तेलकर
"स्वयं की दुर्बलता के विरुद्ध हर एक को युद्ध जरूरी है; प्रो.अमर सिंह
लगन व योग्यता अद्वितीय रचना को जन्म देते हैं:प्रो जी एल विश्वकर्मा
उग्र प्रभा समाचार, चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद के भारतीय ज्ञान परंपरा और रेड रिबन क्लब द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध संदर्भ विषय पर आयोजित व्याख्यान में प्रो. अमर सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृति में स्वार्थपूर्ण अनुकूलित अभिव्यक्ति को भाषा का भीषण निरादर कहा गया है। अभिव्यक्ति का प्रयोग निजी लाभ के लिए अनुकूलन बैठाने के हेतु करना मनुष्यता निर्माण की तौहीन है। चरित्रशीलता बिना कोई भी योजना काम नहीं कर सकती है। मनुष्य भटका हुआ देवता है, जो बना ही है अद्भुत काम करने के लिए। स्वयं की दुर्बलता के खिलाफ एक युद्ध सबको लड़ना चाहिए। परमार्थ वह सर्वोच्च स्वार्थ है, जो घाटे का सौदा नहीं होता है। प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिति में सर्वोत्कृष्ट है। आत्मविश्वास का प्रकाश रात में भी अंधेरा नहीं होने देता है। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि झुकना विवेक के सबसे करीब होता है। अनुराग अनुराग के बगैर किसी और चीज से से पैदा नहीं होता है।प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि लगन व योग्यता अद्वितीय रचना को जन्म देते हैं। बौद्धिक विचारों को अनुभूतियों की गहरी जड़ों में ले जाकर उनको पचा लेना चाहिए। प्रो. राजकुमार पहाड़े ने कहा कि काम के श्रेय की चिंता बिना काम करने वाला आश्चर्यजनक परिणाम देता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि संस्कारों की जड़ों में सतत खाद पानी देने से महाप्राण शक्तियों का निर्माण होता है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि सांसारिक ज्ञान अहंकार एवं आध्यात्मिकता नम्रता लाती है। असल में सुभाषित विचार ही रत्न हैं, बाकी तो सब पत्थर भर हैं। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि डांवाडोल स्थिति में रहना सबसे खतरनाक होता है। धर्म और संस्कृति का विकृत रूप अपराधीकरण की ओर ले जाता है। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि हमारी ज्ञान परंपरा में अध्ययन को आनंदित, अलंकृत व अलौकिक बनाने वाला बताया गया है। कुल की प्रतिष्ठा सदाचार से बढ़ती है, न कि हेकड़ी से।