मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार , छिंदवाड़ा
"पुनीत पुरुषार्थ मनोवांक्षित प्रारब्ध निर्माण में सहायक होते हैं": प्रो. महेंद्र गिरि
"टोटा संसाधनों की कमी का नहीं, भारी कोता सोच का है ": प्रो. आर. एन. झारिया
"हम अपनी उम्मीदों जितने युवा और निराशा जितने बूढ़े हैं": प्रो. ज्योति सूर्यवंशी
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस पर व्यक्तित्व विकास, राष्ट्रीय सेवा योजना और रेड रिबन क्लब द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित व्याख्यान श्रृंखला में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए शासकीय महाविद्यालय तामिया के प्राचार्य प्रो. महेंद्र गिरि ने कहा कि पुनीत पुरुषार्थ मनोवांक्षित प्रारब्ध निर्माण में सहायक होते हैं। हर पल में पसीने का निवेश हमें लक्ष्य के करीब लाता है। नैतिक मूल्यों पर चलने के अकूत आत्मविश्वास में संभावनाओं के परे ले जाने की क्षमता होती है। व्यक्ति कार्यसिद्धि से महान बनता है, पदवियों, ओहदों और उपाधियों से नहीं। अमरवाड़ा कॉलेज के हिंदी के विभागाध्यक्ष प्रो. आर. एन. झारिया ने कहा कि हमारे विकास में बाधक चीजों में टोटा संसाधनों का नहीं है, कोता सोच की भारी कमी का है। बड़ी उपलब्धियों के लिए हर किसी को बुरे वक्त के इम्तिहान से गुजरना पड़ता है। बुरा वक्त हमें जीवन की वास्तविकता से रूबरू कराता है।
फिजूल के मुद्दों पर बहस करने से बढ़कर कोई मूर्खता नहीं है": प्रो. दीप्ति जैन
"मुश्किल हालात असाधारण व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं ": प्रो अमर सिंह
"सामाजिक सरोकारों में लगी ऊर्जा कभी भी निष्फल नहीं होती है": प्रो रजनी कवरेती
प्रो. ज्योति सूर्यवंशी ने कहा कि हम अपनी उम्मीदों जितने बड़े युवा और निराशा जितने बड़े बूढ़े होते हैं। अभावों में पैदा होकर भी कोई भी व्यक्ति जीवन मूल्यों पर चलकर बुलंदियों को छू सकता है। हमारे जीतने की सीमाओं से परे भी एक दुनिया है, जिसकी खोज हमें करनी चाहिए। पी. जी. कॉलेज की अंग्रेजी की विभागाध्यक्ष प्रो. दीप्ति जैन ने कहा कि फिजूल के मुद्दों पर बहस करने से बढ़कर कोई और मूर्खता नहीं है। अकूत आत्मविश्वास हमें अपनी क्षमताओं के परे ले जाता है। खुद को अहमियत देकर स्वयं के न्यून मूल्यांकन से हमें बचना चाहिए। प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि मुश्किल हालात असाधारण व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। हमें अच्छी आदतों के निर्माण में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। हमारी उत्सुकता हमें अकल्पनीय से भी आगे ले जाती है। प्रो रजनी कवरेती ने कहा कि सामाजिक सरोकारों में लगी ऊर्जा कभी भी निष्फल नहीं होती है। हमें अवास्तविक, अवांक्षित और अनावश्यक पर ऊर्जा खर्च नहीं करनी चाहिए। व्याख्यान समारोह को प्रो. जी. एल. विश्वकर्मा, प्रो. आर. के. पहाड़े, प्रो सुरेखा तेलकर, प्रो. संतोष उसरेठे, प्रो. रक्षा उपश्याम एवं प्रो. सकरलाल बट्टी ने भी संबोधित किया। विशेष सहयोग करने वालों में संतोष अमोडिया, नीलेश नागेश, सुनील पाटिल, कमलेश चौधरी, आनंद रजक और श्वेता चौहान ने दिया।

