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शासकीय महाविद्यालय चांद में विश्व योग दिवस संपन्न

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     संवाददाता - मोहिता जगदेव

     उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

" योग में श्वसन नियंत्रण प्राण ऊर्जा का संचार करता है": प्रो. अमर सिंह 

" योग की सही तकनीक आंतरिक अंगों की मालिश करती है ": प्रो. अमर सिंह 

" योग शरीर, मन व आत्मा में एकाग्रता बैठाने का जरिया है": प्रो. अमर सिंह 

उग्र प्रभा समाचार ,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा आयोजित विश्व योग दिवस पर छात्रों को योग की उपयोगिता बताते हुए प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि योग ध्वनि, मुद्रा और श्वसन के सहारे मन पर नियंत्रण है। हम अनियंत्रित, अनियमित और गलत तरीके से सांस लेते हैं, जिसके कारण रोगों से ग्रसित रहते हैं। श्वसन ऊर्जा प्रदान कर मन व आत्मा को शांति व स्थिरता देता है। श्वसन हमारी आयु का निर्धारण करता है। ध्वनि के माध्यम से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा से ध्यान के लिए वातावरण तैयार किया जा सकता है। श्वसन प्राण (जीवन ऊर्जा) को नियंत्रित कर मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। श्वसन की सही तकनीक से आंतरिक अंगों की मालिश होती है, ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है और मानसिक एकाग्रता और स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। प्रो . जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि श्वसन योग अभ्यास का एक अभिन्न हिस्सा है। साउंड मेडिटेशन में विभिन्न ध्वनियों का प्रयोग ध्यान में गहराई लाने के लिए किया जाता है। नाद योग से आत्म- अनुभव व आत्म-जागरूकता को बढ़ावा मिलता है। वोकल टोनिंग के माध्यम से शरीर की ऊर्जा को संतुलित किया जाता है। प्रो.रजनी कवरेती ने कहा कि सततता परिणाम की प्रापक होती है। योग में धैर्य की संलिप्तता बहुत जरूरी है। योग की आदत से दीर्घकालिक समग्र स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है जो अनुशासन और स्थिरता से ही आता है। फलतः शरीर व मन के बुढ़ापे की प्रक्रियाएं धीमी पड़ जाती हैं। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि योग बिना शरीर में जोड़ों और मांशपेशियों में लचीलापन और मजबूती नहीं आती है और तनाव और चिंता में वृध्दि होने लगती है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि योग से कर्म में कुशलता आती है। आने वाले समय में जब शांति ढूंढे नहीं मिलेगी, तब योग को और तरजीह मिलेगी। प्रो.सकरलाल बट्टी ने कहा कि सत्व, रज और तम, इन तीनों गुणों से प्रकृति और मनुष्य गतिमान है। योग उम्र को बांध लेता है और मन को जीत लेता है। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि योग बताता है कि उम्र महज एक संख्या भर होती है। यह टाइमलेस खूबसूरती का राज है। प्रो.रक्षा उपश्याम ने कहा कि नियमित होना योग की कुंजी है। यह शरीर, मन और आत्मा का उद्धार करता है। संतोष अमोडिया ने कहा कि शरीर और दिमाग योग के उपकरण हैं। योग मन, शरीर और आत्मा में सामंजस्य स्थापित करता है।

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